Tuesday, June 20, 2006

धर्म

बिलासपुर (ई छत्तीसगढ़) कोरबा मुख्य मार्ग पर 25 कि.मी पर स्थित आदिशक्ति महामाया देवी का पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरव शाली है । पौराणिक ग्रंथ महाभारत , जैमिनी पुराण आदि में इसे राजधानी होने का गौरव प्राप्त है । त्रिपुरी के कलचुरीयों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया । इसे चर्तुयुगी नगरी भी कहा जाता है जिसका तात्पर्य है कि इसका अस्तित्व चारों युगों में विघमान रहा है ।राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक देकर अपनी राजधानी बनाया ।
श्री आदिशक्ति मॉ महामाया देवी : लगभग 1000 वर्ष प्रचीन महामाया देवी का दिव्य एव भव्य मंदिर दर्शनीय है । इसका निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11 वीं शताब्दी में कराया गया था। 1045 ई. में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में शिकार के लिये आये थे जहां रात्रि वित्राम उन्होंने एक वट वृक्ष पर किया अर्ध रात्रि में जब राजा की आंखे खुली तब उन्होने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा यह देखकर चमत्कृत हो गये कि वहां आदिशक्ति का श्री महामाया देवी का सभा लगी हुई है । इतना देखकर वे अपनी चेतना खो बैठे । सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गये और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया तथा 1050 ई. में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया ।

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