जिया कुरैशी की रिपोर्ट
रायपुर,16नवम्बर(ई.छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गांवो के कुछ किसान इन दिनों अपनी खेती के पुश्तैनी तरीकों और धान की प्रचलित प्रजाति को छोड़कर एक नए किस्म की फसल उपजाने में लगे हैं ये लोग धान की एक ऐसी किस्म उपजा रहे है जो हाईब्रिड़ किस्म की है उसमें नर और मादा किस्म की फसल है। इन किसानों से इस फसल के लिए महाराष्ट्र स्थित म्हाईकों कंपनी ने अनुबंध कर रखा है। यह म्हाईको दरअसल अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो का अर्ध देशी चेहरा है। जो भारत में मोनसेंटो के भारतीय संयुक्त उधम महाराष्ट्र हाईब्रिड़ सीड कंपनी (म्हाईको) के रुप में यहां काम कर रही है।
ये म्हाईको उर्फ मोनसेंटो वही कंपनी है जो चर्चित एंव विवादास्पद बीटी कॉटन लेकर आई थी जिसका हश्र सामने हैं। उससे पहले सोयाबीन क्षेत्र में वही उसी तरीके से उतरी, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। यही कंपनी अब धान के बीजो का फील्ड़ ट्रायल कर रही है,उसने देश के 10 प्रदेशों में एक दर्जन केन्द्रों में अपना परीक्षण कार्यक्रम चला रखा है। इस बारे में उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद और गोरखपुर से यह बात सामने आ रही है, कि धान की यह किस्म ज़हरीली है।
पर छत्तीसगढ़ के भोले-भाले किसान छोटे से लाभ के लिए अनजाने में ही यह जहर की फसल उगाए जा रहे हैं, उनका उपजाया धान जहरीला न भी हुआ तो कांट्रेक्ट फॉर्मिंग बनाम कार्मश्यिल खेती के नाम पर वे जो विष बेल लगा रहे है वह कम से कम यहां की परंपरागत उपजाऊ और प्रचलित किस्मों को तो खा ही सकती है, और एक्सपोर्ट के बाजार पर भी उसका जहरीला असर हो सकता है।
इस संबध मे रायपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ.संकेत ठाकुर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हाईब्रिड बीज का उत्पादन कोई भी कंपनी कर सकती है,लेकिन जीएम किस्म के धान का परीक्षण बिना अनुमति नही हों सकता। अभी यह स्पष्ट नही है कि म्हाईको हाईब्रिड के अलावा जीएम किस्म का परीक्षण छत्तीसगढ़ कर रही है य़ा नहीं।छत्तीसगढ में साल भर पहले अप्रैल 05 में 600 एकड़ क्षेत्र में अनुसंधान की उपज लगाई गई है।
बहरहाल म्हाईको के संबंध में खबर है कि यह जीएम. किस्म की चावल की जिस किस्म पर शोध शुरु हो गया है ,और दिल चस्प है कि किसानों से अधिक विरोध उधोग कर रहे है क्योंकि इससे उन्हें चावल निर्यात के बाजार पर खतरा मंडराता दिख रहा हैं।
Friday, November 17, 2006
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