फार्मा सेक्टर की कई मल्टीनेशनल कंपनिय़ों को भारत में ब़डे पैमाने पर अपने उत्पाद लांच करने का अवसर जल्दी मिलने जा रहा है, ऐसा इसलिए संभव हो रहा है कि भारत सरकार जल्द ही 5 वर्षीय़ डाटा संरक्षण की अनुमति देने की तैयारी में है। पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नए प्रोडक्ट उतरने से घरेलू दवा कंपनियों पर भी दबाव बढ़ेगा, जिसकी वजह से ये कंपनिया दवा के विकास पर आने वाली लागत को कम करने पर मजबूर होंगी, नतीजा यह होगा कि कांट्रेक्ट रिसर्च एवं क्लिनिकल डाटा मैनेजमेंट क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। डाटा संरक्षण की अनुमति मिलने की आशा से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनिया काफी उत्साह मे हैं।
फार्मा क्षेत्र में नवप्रर्वतक द्वारा कंपनियों द्वारा जो रोग विषयक जांच एवं डाटा, परीक्षण नियामक प्राधिकरण को उपलब्ध कराया जाता हैं, डाटा संरक्षण उसकी सुरक्षा प्रदान करता हैं। इसका मतलब यह है कि अन्य कंपनिया दवाओं की मार्केटिंग अनुज्ञप्ति प्राप्त करने हेतु नव प्रर्वतक के डाटा का प्रयोग नही कर सकती हैं डाटा संरक्षण के परिपालन से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों का घरेलू बाजार में नए उत्पादों के लांच के प्रति भरोसा बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय सहायक कंपनियां डाटा संरक्षण की कमी के कारण अपनी मूल कंपनियों कें उत्पाद समूह से नई दवाओं के लांच के अधिकार से वंचित हो चुकी है इस नियम से उन भारतीय कंपनियों को लाभ पहुचागा जिन्होंने अपना पूरा फोकस शुद्घ जेनरिक कंपनी बनाने की बजाय नव प्रर्वतक कंपनी बनने पर जोर दिया क्योंकि उनके शोध डाटा भविष्य में सुरक्षित रहेंगे।
Monday, October 23, 2006
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1 comment:
सही फर्माया आपने
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