Saturday, November 25, 2006

खेतों से उठी आग

ई छत्तीसगढ़ की खबर पर व्यापक प्रतिक्रिया,
ज़िया कुरैशी
रायपुर25,नवम्बर(ई छत्तीसगढ़)
ज़हर की खेती की खबर के साथ ही छत्तीसगढ़ में अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो उर्फ म्हाईको के खिलाफ अत्यंत तीखी और व्यापक प्रतिक्रिएं सामने आई है और य़ह मसला अब आंदोलन की शक्ल ले रहा है।

16 नवम्बर के ई. छत्तीसगढ़ पर यह खबर आने के बाद राज्य के एक गंभीर एवं विश्वसनीय दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ ने इस खबर को अपने 23 नवम्बर 06 के संस्करण में प्रथम पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित किया है साथ ही राज्य से प्रकाशित होने वाले सभी दैनिक अखबारों ने काफी गंभीरता से इस मामले को उठाया है।

साथ ही कुछ राष्ट्रीय एवम क्षेत्रीय टीवी चैनल इस पर काम करना शुरु कर चुके है। राज्य की खेती –किसानी से जुड़े लोग, कृषि वैज्ञानिक, और किसान हितों की पैरवी करने वाली कई संस्थाएं इस विषय पर खुलकर सामने आ रही है।

ई छत्तीसगढ़ को मिली जानकारी के अनुसार अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ शीघ्र ही एक जनआंदोलन खड़ा करने की तैयारी की जा रही है, जल्दी ही इस मामले से जुड़े कई और तथ्य तथा विचार सामने आएगें इसकी उम्मीद की जा रही है। इसी बीच छत्तीसगढ़ की सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए है।

रायपुर शहर के पास जिस स्थान पर धान की विवादास्पद बीटी किस्म का फील्ड़ ट्रायल किया जा रहा था, उसका निरीक्षण करने शासन के अधिकारी, वैज्ञानिकों के दल के साथ राज्य के कृषि मंत्री ननकी राम कंवर पहुचे और सरकारी आदेश के बाद खेत में आग लगा दी गई। यह भी पता चला है की कुछ सब्जियों की उपज में भी ऐसा ही विवादास्पद अनुसंधान किया जा रहा है।

इस मामले के जानकार समूहो में अमरीकी कंपनी के खिलाफ आक्रोश भड़का हुआ है। इनमें से कुछ लोगो का कहना है कि खेत में आग लगाने भर से जैव संपदा पर हमले के जख्म नही भरे जा सकते है।

Friday, November 17, 2006

ज़हर की खेती--

जिया कुरैशी की रिपोर्ट
रायपुर,16नवम्बर(ई.छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गांवो के कुछ किसान इन दिनों अपनी खेती के पुश्तैनी तरीकों और धान की प्रचलित प्रजाति को छोड़कर एक नए किस्म की फसल उपजाने में लगे हैं ये लोग धान की एक ऐसी किस्म उपजा रहे है जो हाईब्रिड़ किस्म की है उसमें नर और मादा किस्म की फसल है। इन किसानों से इस फसल के लिए महाराष्ट्र स्थित म्हाईकों कंपनी ने अनुबंध कर रखा है। यह म्हाईको दरअसल अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो का अर्ध देशी चेहरा है। जो भारत में मोनसेंटो के भारतीय संयुक्त उधम महाराष्ट्र हाईब्रिड़ सीड कंपनी (म्हाईको) के रुप में यहां काम कर रही है।

ये म्हाईको उर्फ मोनसेंटो वही कंपनी है जो चर्चित एंव विवादास्पद बीटी कॉटन लेकर आई थी जिसका हश्र सामने हैं। उससे पहले सोयाबीन क्षेत्र में वही उसी तरीके से उतरी, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। यही कंपनी अब धान के बीजो का फील्ड़ ट्रायल कर रही है,उसने देश के 10 प्रदेशों में एक दर्जन केन्द्रों में अपना परीक्षण कार्यक्रम चला रखा है। इस बारे में उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद और गोरखपुर से यह बात सामने आ रही है, कि धान की यह किस्म ज़हरीली है।

पर छत्तीसगढ़ के भोले-भाले किसान छोटे से लाभ के लिए अनजाने में ही यह जहर की फसल उगाए जा रहे हैं, उनका उपजाया धान जहरीला न भी हुआ तो कांट्रेक्ट फॉर्मिंग बनाम कार्मश्यिल खेती के नाम पर वे जो विष बेल लगा रहे है वह कम से कम यहां की परंपरागत उपजाऊ और प्रचलित किस्मों को तो खा ही सकती है, और एक्सपोर्ट के बाजार पर भी उसका जहरीला असर हो सकता है।
इस संबध मे रायपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ.संकेत ठाकुर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हाईब्रिड बीज का उत्पादन कोई भी कंपनी कर सकती है,लेकिन जीएम किस्म के धान का परीक्षण बिना अनुमति नही हों सकता। अभी यह स्पष्ट नही है कि म्हाईको हाईब्रिड के अलावा जीएम किस्म का परीक्षण छत्तीसगढ़ कर रही है य़ा नहीं।छत्तीसगढ में साल भर पहले अप्रैल 05 में 600 एकड़ क्षेत्र में अनुसंधान की उपज लगाई गई है।

बहरहाल म्हाईको के संबंध में खबर है कि यह जीएम. किस्म की चावल की जिस किस्म पर शोध शुरु हो गया है ,और दिल चस्प है कि किसानों से अधिक विरोध उधोग कर रहे है क्योंकि इससे उन्हें चावल निर्यात के बाजार पर खतरा मंडराता दिख रहा हैं।

Monday, October 23, 2006

देशी दवा का दर्द बढेगा

फार्मा सेक्टर की कई मल्टीनेशनल कंपनिय़ों को भारत में ब़डे पैमाने पर अपने उत्पाद लांच करने का अवसर जल्दी मिलने जा रहा है, ऐसा इसलिए संभव हो रहा है कि भारत सरकार जल्द ही 5 वर्षीय़ डाटा संरक्षण की अनुमति देने की तैयारी में है। पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नए प्रोडक्ट उतरने से घरेलू दवा कंपनियों पर भी दबाव बढ़ेगा, जिसकी वजह से ये कंपनिया दवा के विकास पर आने वाली लागत को कम करने पर मजबूर होंगी, नतीजा यह होगा कि कांट्रेक्ट रिसर्च एवं क्लिनिकल डाटा मैनेजमेंट क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। डाटा संरक्षण की अनुमति मिलने की आशा से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनिया काफी उत्साह मे हैं।
फार्मा क्षेत्र में नवप्रर्वतक द्वारा कंपनियों द्वारा जो रोग विषयक जांच एवं डाटा, परीक्षण नियामक प्राधिकरण को उपलब्ध कराया जाता हैं, डाटा संरक्षण उसकी सुरक्षा प्रदान करता हैं। इसका मतलब यह है कि अन्य कंपनिया दवाओं की मार्केटिंग अनुज्ञप्ति प्राप्त करने हेतु नव प्रर्वतक के डाटा का प्रयोग नही कर सकती हैं डाटा संरक्षण के परिपालन से बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों का घरेलू बाजार में नए उत्पादों के लांच के प्रति भरोसा बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय सहायक कंपनियां डाटा संरक्षण की कमी के कारण अपनी मूल कंपनियों कें उत्पाद समूह से नई दवाओं के लांच के अधिकार से वंचित हो चुकी है इस नियम से उन भारतीय कंपनियों को लाभ पहुचागा जिन्होंने अपना पूरा फोकस शुद्घ जेनरिक कंपनी बनाने की बजाय नव प्रर्वतक कंपनी बनने पर जोर दिया क्योंकि उनके शोध डाटा भविष्य में सुरक्षित रहेंगे।

Monday, September 25, 2006

कोई ताज़ा हवा चली है अभी-------

रायपुर25सितम्बर(ईं छत्तीसगढ़)
दोस्तों, इंटरनेट पर हिन्दी में काम कर रहे और हिन्दी को विश्वव्यापी बनाने की कोशिश में लगे साथियों के लिए फिर एक अच्छी खबर है।
हमारे प्रदेश में तेजी से प्रतिष्ठित हो रहे हिन्दी दैनिक छत्तीसगढ़ (www.dailychhattisgarh.com) के नेट पर आने के बाद अब इसी समूह यानि मिशन मीडिया प्राईवेट लिमिटेड द्वारा शीघ्र ही एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार/संपादक सुनील कुमार(chhattisgarh@gmail.com) के नेतृत्व एंव मार्ग दर्शन में जल्द ही इतवारी अखबार(www.itwariakhbar.com) नामक पत्रिका का प्रिंट संस्करण लोकार्पित होने वाला है। खुशी की बात है कि यह हिन्दी पत्रिका नेट पर भी उपलब्ध होगी।
अगर आप नेट पर डेली छत्तीसगढ़ को अब तक नहीं देख पाए है तो और देरी मत कीजिए। यहां आपको समाचार, विचार, सूचना वगैरह के साथ कई ऐसी चीज़े मिल सकती है जो संभवतः आपके काम की हों।
बहरहाल इस अखबार के साथ साथ आप हिन्दी में बहुत सी सामाग्री साप्ताहिक पत्रिका में पा सकते है। इतवारी अखबार का पता ठिकाना नोट करके भ्रमण पर आएं और संपादक जी को अखबार और पत्रिका दोनों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं आपके विचार एवं सुझाव हिन्दी भाषा के क्षेत्र में काम करने और उसके विकास की दिशा में बढ़ाने में सहभागी होंगे ऐसा विश्वास हैं।

Sunday, September 17, 2006

हिन्दी साहित्य-टॉप टेन मे विनोद कुमार शुक्ल

रायपुर,17 सितम्बर(ई.छत्तीसगढ़)।
साप्ताहिक आउटलुक ने छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार को हिंदी के दस शीर्षस्थ रचनाकारों में से एक चुना है। पत्रिका ने अपने 25 सितंबर के अंक में प्रकाशित टाप-टेन रचनाकारों में श्री शुक्ल के अलावा कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, केदारनाथ सिंह, कुवंर नारायण, श्रीलाल शुक्ल, असगर वजाहत, मंगलेश डबराल, उदय प्रकाश और विष्णु नागर को भी शामिल किया है। उन्हे साहित्य अकादमी समेत अनेक पुरस्कार दिए जा चुके है। आउटलुक ने उन्हें सलाम करते हुए उनकी रचना पेड़ पर कमरा प्रकाशित की है। हिन्दी साहित्य के इन टाप टेन रचनाकारों का चयन 21 सदस्यीय जूरी ने किया जिसमें अनेक विषयों के विशेषज्ञों ने अपना सहयोग दिया।
सूचना :- प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल द्वारा रचित साहित्य के चुनिंदा अंश आप ई छत्तीसगढ़ पर पढ़ पायें हम इसी दिशा में प्रयास शुरू करने जा रहें है,इंतजार कीजिए। ज़िया कुरैशी

Tuesday, September 05, 2006

इसलिए मत जानो

जिय़ा कुरैशी
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राय़पुर.ई.छत्तीसगढ, 5 सितंबर। मध्य़प्रदेश के जगप्रसि्द्ध नगर उज्जैन में एक प्रोफेसर की उनके ही कालेज मे हुई हत्य़ा की घटना ने हिंसा के ताडंव का वह रूप दिखा दिय़ा है जिसे अभी छात्रसंघ चुनाव की हिंसा की शक्ल में देखा जा रहा है।पर मुझे लगता है,बात सिफॅ इतनी नहीं है। छात्रों की राजनीति के नाम पर सत्ताधारी दल के इशारों पर काम करने वाले, उन्हीं के पालित पोषित लोग ही इस हौसले के साथ य़ह दुस्साहस कर सकते है।

प्रोफेसर हरभजन सिंह सबरवाल जो एक दिलेर ,दबंग व्य़क्ति थे उन्हें य़ह अभिमान था कि उन्हे कोई कुछ नहीं कर सकता(दरअसल य़ह उनका विश्वास था) और फिर वे अंजान लोगों के बीच य़ा हमलावरों के सामने भी नहीं जा रहे थे। उनके सामने ही स्कूल से निकले और कालेज में पढने आए छात्र ही तो थे ,उनमें सब य़ुवा और बहुत से उनके बेटे की आय़ु के थे।


पर सबरवाल साहब के विश्वास पर लात घूंसो के इतने वार हुए कि एक जीते जागते इंसान की मौत हो गई । मामले के दोषिय़ो पर पुलिस कारॅवाई के तहत हत्य़ा का एक और मुकदमा काय़म हो गय़ा है। कालेज में प्रोफेसर को पीट-पीट कर मार देने की य़ह घटना शिक्षाजगत के एक काला दिन है।छात्रो के भविष्य़ को संवारने में अपना जीवन कुरबान कर देने वाले प्रोफेसर साहब को ,मेरी समझ से शहीद का दरजा मिलना चाहिए।
दूसरी तरफ य़ह चिंतनीय़ है कि छात्र और य़ुवा किस दिशा में जा रहें हैं ,छात्र राजनीति करते समय़ बडे नेताओं की कठपुतली बनकर काम करते रहना छात्र-संगठनों की तात्कालिक मजबूरी हो सकती है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम प्रोफेसर की बेसमय़ मौत बनाम हत्य़ा जैसे नतीजों की शक्ल में सामनें आएंगे ।
दुख की एक और बात य़ह भी है कि गमगीन परिवार को सरकार (राज्य़) की तरफ से न्य़ाय़ की जगह निराशा मिल रही है। मामले के मुख्य़ मुलजिम सरकारी दल के झंडाबरदार हैं।
स्व.श्री सबरवाल का परिवार अपनी व्य़था के साथ न्य़ाय़ की लडाई भी लड रहा है। उनके सुपुत्र हिमांशु सबरवाल नें साफ कहा है कि राज्य़ सरकार जिस तरीके से जांच कर रही है उससे नतीजे की उम्मीद कम ही है।न्य़ाय़ पाने की कोशिशों के तहत हिमांशु अपना एक वेबसाइट बना रहे हैं, उनका प्रय़ास होगा कि दुनिय़ा भर के कानून विशेषज्ञों से मुकदमे के लिए सलाह ली जाए। उज्जैन नगरी अब इस लिए भी जानी जाएगी ।

Sunday, August 27, 2006

एक नज़र सूरज पर...

(फोंटो ई छत्तीसगढ़/संतोष साहू)

रायपुर.27अगस्त(ई छत्तीसगढ़). पिछले हफ्ते हमारे शहर रायपुर में सूरज अलग ही अंदाज़ में नज़र आ रहा था। सूर्य इंद्रधनुषी घेरे के बीचो-बीच था और बादल इस पार से उस पार आ-जा रहे थे। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक इस तरह की घटनाएं कभी-कभार ही होती हैं ऐसा तब होता जब बादल 6 कि.मी. से ज्यादा ऊंचाई पर हों और उसमें बर्फ और पानी दोंनो मौजूद हों। यह घेरा 22 डिग्री का होता है । सूर्य के अलावा चंद्रमा के आसपास भी इस तरह का घेरा बनता है।
सूरज के इस बदले हुए नज़ारे को हजारों लाखो लोगो ने प्रत्यक्ष और अख़बारों के माध्यम से देखा है। और कई तरह की प्रतिक्रियाए दी है। ई छत्तीसगढ़ के माध्यम से शायद पहली बार यह तस्वीर नेट पर आई है। ब्लागर भाईयों/बहनों और खास कर कवि मन धारियों से आग्रह है की इस सूरज को देखकर अगर कोई कल्पना या पंक्ति याद आती है तो अपनी प्रतिक्रिया लिख भेजें।

Thursday, August 24, 2006

मीडिया समाचार-टीवी 18 के बढ़ते कदम

नई दिल्ली,24 अगस्त(एजेंसी) इंफोटेंमेंट क्षेत्र के अग्रणी समूह टीवी 18 इंडिया की इंटरनेट शाखा वेब18 एक महत्वपूर्ण कदम के तहत क्रिकेट नेक्स्ट डाट काम कम्पेयर इंडिया डाट काम और अर्बन आई पोर्टलों का अधिग्रहण करेगी।
इनमें क्रिकेट नेक्स्ट डाट काम और कम्पेयर इंडिया डाट काम खुरदा क्षेत्र के अग्रणी पोर्टल हैं। क्रिकेट नेक्स्ट डाट काम देश का बेहद लोकप्रिय खेल पोर्टल है। क्रिकेट के समाचार देने वाले इस पोर्टल का 50 लाख से भी अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं। उत्पादों का तुलनात्मक विश्लेषण करने वाले पोर्टल कम्पेयर इंडिया का इस्तेमाल 20 लाख से अधिक लोग करते हैं।
क्रिकेट नेक्स्ट डाट काम टीवी 18 के आनलाइन समाचार पोर्टल आईबीएन तथा आईबीएन-7 चैंनलों के साथ मिलकर काम करेगा । कम्पेयर इंडिया डाट काम समूह के वित्तीय पोर्टल मनी कंट्रोल डाट काम तथा हिंदी चैनल आवाज़ के साथ काम करेगा। वेब डिजायन और प्रौधोगिकी से संबंधित पोर्टल अर्बन आई में 50 से अधिक विशेषज्ञ पेंशेवर काम करते है और यह वेब 18 के संचालन मे मदद करेगा।

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

रायपुर, 24 अगस्त(ई छत्तीसगढ़) खबरों की दुनियां में तेजी से लोकप्रिय हो रहा छत्तीसगढ़ राज्य का हिन्दी अखबार " छत्तीसगढ' अब जल्द ही नेट पर उपलब्ध होगा। वरिष्ठ पत्रकार/संपादक सुनील कुमार के इस अखबार में समाचार,विचार और नई सूचनाओं का ज़खीरा है, नेट पर छत्तीसगढ़ की उपलब्धता सें बहुत सी जिज्ञासा का समाधान होंगा और पाठकों को विश्वसनीय खबरो का नया स्रोत हासिल होगा, दुनिया भर में हिन्दी ज़ुबान बोलने, पढने लिखने और समझने वालों के लिए इस सूचना और ज्ञान के केन्द्र के ठिकाने का पता है
www.dailychhattisgarh.com

Monday, August 21, 2006

मुंशी प्रेमचंद को सलाम

हिन्दी साहित्य और उर्दू अदब के अज़ीम कलमकार मुंशी प्रेमचंद की 125 वीं जयंती के अवसर पर ई-छत्तीसगढ़ की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित है साहित्य जगत में प्रेमचंद की तुलना किसी और से करना किसी सूरत में मुनासिब नहीं होगा । वे सिर्फ हिन्दुस्तान ही नही दुनिया भर के हिन्दुस्तानी जुबान बोलने वाले लाखों करोड़ो लोगों के बीच एक अहम स्थान रखते हैं। प्रेमचंद को लेकर पड़ोसी देश पाकिस्तान के साहित्यकार किस तरह सोचते है- यहां प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष और गौरव की अनुभूति हो रही है (ज़ियाकुरैशी)
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हिन्दी के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद जितने भारत में लोकप्रिय है, उसमें कम लोकप्रिय पाकिस्तान में नहीं है। यह कहना है प्रेमचंद की 125 वीं जयंती के समापन समारोह के सिलसिले में भारत आए पाकिस्तानी लेखकों का। इन लेखकों ने कहा कि प्रेमचंद पर हमारा हक ज्यादा बनता है, क्योकि वह पहले उर्दू के लेखक है जो बाद में वह हिन्दी में आए।
कहानीकार मसूद अगशर, नाटककार सैयद असगर नदीम और मिर्जा हामिद बेग ने कहा कि प्रेमचंद ने उर्दू अफसानी की बुनियाद रखी है। उनके बगैर उर्दू अदब की कल्पना नहीं की जा सकती है। अशर ने बताया कि प्रेमचंद की पुस्तके पाकिस्तान में मैट्रिक से लेकर एम.ए. तक के पाठ्यक्रमों में पढ़ाये जाते है इसी से आप अंदाजा लगा सकते है कि वह वहां कितने लोकप्रिय है। अशर ने बताया कि प्रेमचंद हमारे लिए बापू की तरह है और वह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे बडे एवं प्रतिनिधि रचनात्कार है वह इस उपमहाद्वीप की सभ्यता के व्याख्याकार है।
वह भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती के सेतू के समान है। उन्होने बताया कि प्रेमचंद की 125 वीं जयंती पाकिस्तान में भी मनायी गई और कई शहरों में प्रेमचंद की दो कहानियों कफन और अमावस की रात का नाटय मंचन भी किया जिस लोगों ने काफी सराहा। साथ ही पाक लेखकों ने यह भी कहा कि पाकिस्तान और हिन्दुस्तान के साहित्य की मूल संवेदना एक ही है। दोनों देश के लेखकों में कोई मतभेद नहीं है। अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई दूरी है तो वह सियासी स्तर पर है।
(साभार द सॅल्यूशन)

Sunday, August 06, 2006

मन से तेज क्या

द्धापर युग में जब महाराज युधिष्ठिर अपने चारों भाइयों के साथ तीर्थयात्रा पर जा रहे थे तों रास्ते में यक्ष ने उनसे कुछ सवाल पूछे इनमें से एक सवाल यह था कि हवा से तेज गति किसकी हैं। जवाब में युधिष्ठिर ने कहा कि मन सर्वाधिक तेज चलता है यह उत्तर ठीक था लेकिन यही सवाल अगर उनसे आज पूछा जाता तो शायद जवाब में मन की जगह कंम्प्यूटर चिप होता।
कंम्प्यूटर के पलक झपकते ही डाटा उपलब्ध कराने में सिलिकॉन चिप का विशेष महत्व होता है । अब इसके विकास में शोधकर्ता एक साथ कई कदम आगे कूद गए हैं उन्होने एक ऐसी चिप के निर्माण का दावा किया है जो शायद आपको पलक झपकाने का मौका भी न दे। बाजार में इस चिप के आने के बाद अल्ट्राफास्ट कम्प्युटर के निर्मण का एक नया युग शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जी हॉ कंम्प्यूटर बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी आईबीएम और जार्जिया टेक ने अब तक के सबसे तीव्रतम गति वाली चिप बनाने का दावा किया है। 500 गीगा हटर्ज की गति वाली यह चिप इस समय बाजार में मौजूद कंम्प्युटर चिप की तुलना में 125 गुणा अधिक तेजी से काम करती है। इसके अलावा यह मोबाइल फोन में इस्तेमाल हो रही वर्तमान चिप से 250 गुणा अधिक तेजी से डाटा ट्रांसफर कर सकती है।
सिलिकॉन जर्मेनियम आधारित यह चिप ठंडे वातावरण में अधिक सुगमता से काम करती है इसको 500 गीगा हट्रर्ज की क्षमता से लैस करने के लिए शोधकर्ताओं ने निर्माण प्रक्रिया के दौरान चिप को 268 डिग्री पर ठंड़ा किया सामान्य तापक्रम पर यह 350 गीगा हट्रर्ज की गति से काम करती हैं।
अपने घरेलू कंम्प्यूटरों में इसकी क्षमता हासिल करने के लिए अभी उपभोक्ताओं को एक दो साल का इंतजार करना होगा। इसके शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि आने वाले दिनो में अंतरिक्ष व सैन्य गतिविधियों के क्षेत्र में इस चिप के प्रयोग से नए आयाम हासिल किए जा सकेंगे। डीवीडी क्वालिटी की पिक्चर को चलाने में तो इसे पांच सेकेंड से भी कम समय लगेगा । जार्जिया टेक स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड कंम्प्युटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जॉन क्रेसलर ने कहा कि इस चिप के निर्माण से मिली सफलता से यह साबित होता है कि आने वाले दिनों मे हम इससे आगे जा सकतेहैं।(साभार—द सॅल्यूशन)

Sunday, July 23, 2006

ग़ज़ल

ज़माने की हवाओं ने ये कैसा कर दिया मुझको ।
कि मेरा साया ही देखो नहीं पहचानता मुझको ।

तही दस्ती ने ज़ेबों को कुछ इतना कर दिया वीरां ।
फक़ीरे शहर तक देता नहीं अब तो दोआ मुझको ।

ये माना तेरी राहों में बिछी हैं हर तरफ कलियॉ ।
मैं पत्थर ही सही लेकिन न रस्ते से हटा मुझको ।

मेरी किरनों की आहट आशियॉ पर बार थी इतनी
चिरागे रह गुज़र था मैं बुझा कर रख दिया मुझको।

तसव्वुर से भी मिटती जा रही है चाप यादों की
करेगा दूर कितना मंज़िलो से फासला मुझको ।

“हसन” अपना लहू मुझको ही ख़ुद पीना पड़े लेकिन
बदलना है ब-हर सूरत निज़ामे मयकदा मुझको ।

- शाएर -
मरहूम हाजी हसन अली “हसन”

Friday, July 14, 2006

सपन की याद में............


लेख:रम्भा / दिल्ली

hello Zia ji,
remembered sapan...and wrote something about him.........see if you like it...

sapan chakrawarti

it was 8th of march 2006?.we drove from jagdal pur to bastar (a district in Chattisgarh state) and reached the log huts of chitrakote ..it was raining heavily.

The manager of the log huts happened to be my friend zia qureshi?s old friend (Zia is a news correspondent with CNBC. ..

This was how I met Sapan chakravarti?.a very simple and ordinary person ?not very sophisticated or highly educated but honest and passionate about his land and people?. I am not aware of how Sapan Got the idea that I was a journalist !!

May be because it was off season for tourists ,I was accompanied by a journalist (Zia )?.at the time when naxalite attacks in the area was being flashed on the national news?and I was there taking notes.

Anyhow I wanted to explore the place , and know more about the people so just kept quite.

This is what sapan told me ,with a spark in his eyes??

--Hamare bastar ke bare mein zada log jante nahin hain?.aap likhna..logon ko pata chale?bastar kitna khubsoorat hai?jungle hain?khanij hain bahut rich hai humara bastar!

----.Yahan par zada adiwasi rahte hai ,gareeb hain lekin imandar?..aap chahe to kuch logon sa apki meeting karwa sakta hun?!!

----yahan amdani ka kuch sadhan nahi hai, sara din yeh log mahua chunte hain usko bech kar guzara karte hai.

--- Aspas doctor to kya bazaar bhi nahin hai??hafte main ek baar 8-10 gaon ke beech ek haat lagti hai, usme hi zaroori saman mita hai bus!

---- yahan TATA wale steel factory laga rahe hai??..lekin..gareeb ko kya milega?.chawkidar ki naukri?uske badle zameen chali jayegee?.aur phir sari generation gulami karehi?.chota kisan majdoor bun kar rah jayege??

----Development hona chahiye lekin jungle kut jayenge?.pahad khod denge?khubsoorat Indrawati nadi polluted ho jayegi?to development kaisa!!!

--ye naxalite ki problem thodi theek ho jayegi to zada tourist ayenge..

---main aap ko raat mein Chitrakoot falls dikhaunga?neon light jub jalti hai to bahut hi khubsoorat lagta hai.

---subah sunrise ke waqt aap Indrawati ko dekhna?.duniya ka subse sundar sunrise hota hai yahan

---kuch aisa hona chahiye ki yahan ke adiwasiyon ki zindgi sudhar jaye?.bahut ache hain ye log?..lekin bade log ate hain aur 200- 400 rupaye dekar apna peecha chudate hain?in paison se kuch nahin hota?.inke bare main koi nahin sochta?.

Aap likh taki logon ko pata chale !!

---ek picnic spot aur echo point discover kiya hai maine?.aapko subah le chalunga!!!

And the next day I saw the most beautiful sunrise of indravati?..took a ride in a boat..then a small dingy and went as close to the falls as possible, saw a fisherman lay his fishing net and catch fish?.walked through the jungle?and came across few adivasis who were gathering mahua?.(used for making local wine)in my excitement of taking pictures I forgot all about my money bag( though it had only 1500 Rs.)

After about two and half hours the adivasis camelooking for us and gave the purse back?unopened..the people who worked hard in the heat for 10 Rs. Returned the purse without even opening it!!

Sapan had a smile on his face?.dekha madam ji kitne seedhe hain ye log..

We went to barasour?.driving on the very road where 5 innocent people had been killed by the naxalites two days ago?the deserted road through the dense jungle?.it was a strange feeling?..

And overheard a conversation?.Sapan had no understanding of the old temples?just new that they were somehow important?.and wanted to make sure i did not miss to write about them??and people knew how unique his land was!!

I had to leave early morning the next day..i requested Zia to invite him to have dinner with us??Sapan was very happy.. and asked me how I had liked bastar and chitrakote?and that I would write ?..and said wanted to sing a song??.and he sang?mere naina sawan bhado phir bhi mera mun pyasa?!!!

Dear Sapan,

Just came to yesterday that you are no more?

I am not a journalist?.and I don?t know if I can do justice to your feelings but I am keeping my promise..at least some people will know?that your Bastar is beautiful..with untouched jungles?.people with golden heart.the Indravati river??...and chitrakote falls?.:India?s own Niagra !!!

Wednesday, July 12, 2006

प्रतिभा पलायन की बदलती धारा

लेख: गरिमा शर्मा
हमारे देश के हजारों युवक/युवतियां प्रतिवर्ष उच्‍चतर अध्‍ययन या आकर्षक रोजगार की चाह में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फांस और ऑस्‍ट्रेलिया जैसे देशों की ओर पलायन कर जाते हैं. इनमें से अधिकतर भारतीय विदेश से ही बस जाते हैं, क्‍योंकि इन देशों में अच्‍छे वेतन के साथ-साथ कई अन्‍य सुविधाएं उन्‍हें मिलती हैं, जिनके बल पर वे अपने जीवन को उच्‍च स्‍‍तरीय बना सकते हैं. पिछले पांच दशक से भी अधिक समय से हम भारत से प्रतिभा पलायन (Brain Drain) को लेकर बहुत शोर-गुल मचा रहे हैं, किंतु इस प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए अभी तक हमारी ओर से कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं.
हमारे महानगरों के कुछ पब्लिक स्‍कूल और हमारे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (Indian Institutes of Technology) तथा भारतीय प्रबंधन संस्‍‍थान ( Indian Institutes of Management) विश्‍व स्‍तरीय शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. सरकार और देश की जनता एक बड़े स्‍तर पर धन खर्च करते हुए इन प्रतिभाओं का विकास यह सोच कर करती है कि आने वाले समय में ये प्रतिभाएं राष्‍ट्र के विकास में सार्थक योगदान देंगी, किंतु इनकी उत्‍कृष्‍टता का प्रयोग विश्‍व के अन्‍य देशों द्वारा अपने विकास के लिए किया जाता है. क्‍या यह हमारे लिए शर्म की बात नहीं है ?
आलोचकों का कहना है कि जब अन्‍य देश हमारी तुलना में ज्‍यादा वेतन तथा अन्‍य उच्‍च स्‍तरीय सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, तो फिर हम अपनी प्रतिभाओं को विदेश जाने से कैसे रोक सकते हैं ? परिणामस्‍वरूप हमें भारी क्षति हो रही है और अन्‍य देश हमारी इस क्षति का भरपूर लाभ उठा रहे हैं. अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिका खगोलशास्‍त्री कल्‍पना चावला केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्‍व की अन्‍य महिलाओं के लिए भी एक आदर्श बन गई. यद्यपि वे भारतीय मूल की थीं, किंतु फिर भी अमेरिकी खगोलशास्‍त्री कहलाई. वर्ष 2005 के प्रारंभ में अमेरिका ने विदेशी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों को वीजा सीमाओं में छूट देने का निर्णय लिया. उल्‍लेखनीय है कि यू.एस.नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स के स्‍क्रॉल ऑफ ऑनर 2005 में कई विदेशी मूल के वैज्ञानिकों सहित 74 नए वैज्ञानिक थे. इनमें 5 भारतीय मूल के थे. वे थे- सुभाष महाजन, चेयरमैन, रसायन एवं सामग्री इंजीनियरिंग विभाग, ऐरिजोना स्‍टेट यूनिवर्सिटी; अरूणाभ मजूमदार, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर, कैलिफोर्निया विश्‍वविद्यालय, बर्कले; आर. शंकर नायर, वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष, टेंग एंड एसोसिएट्स, शिकागो; राजा वी. रमानी, प्रोफेसर एमेरिटस, खनन एवं भू-पर्यावरण इंजीनियर, पेन्सिल्‍वेनिया स्‍टेट यूनिवर्सिटी; और सुभाष सिंगल, फ्यूल सैल्‍स के निदेशक, पैसिफिक नॉथवैस्‍ट राष्‍ट्रीय प्रयोगशाला, रिचलैंड, वाशिंगटन. इन प्रतिष्ठित भारतीयों को सेमी-कंडक्‍टर्स, फ्यूल सैल्‍स, नैनो-टेक्‍नोलॉजी, भवन प्रौद्योगिकी और कोयला-खनन सुरक्षा के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट योगदान देने के लिए सम्‍मानित किया गया. ये पांच विशेषज्ञ कुल 2000 इंजीनियरों की सूची में शामिल हो गए, इस सूची में लगभग 50 भारतीय हैं, जो राष्‍ट्रीय इंजीनियर एवं विज्ञान विभाग के आजीवन सदस्‍य बन चुके हैं. पूर्व वर्ष के सम्‍मानित लोगों में स्‍टीफन हॉकिंग और बिल गेट्स शामिल थे. इस प्रतिष्ठित निकाय के भारतीय मूल के सदस्‍यों में डॉ. हरगोबिंद खुराना और डॉ. एस. चंद्रशेखर भी शामिल हैं.
जब कभी भी प्रतिभा पलायन पर बहस होती है, तो इसका एक ही प्रमुख कारण दिया जाता है कि भारतीय युवा विदेशों में पलायन इसलिए करते हैं, क्‍योंकि उनकी उत्‍कृष्‍टता को भारत में न तो उचित सम्‍मान मिलता है और न ही मान्‍यता. जब यह बहस आरंभ हुई थी, तो इस कथन को कुछ सीमा तक सही माना जा सकता था. किंतु आज परिस्थितियों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया हैं, और प्रतिभाशाली लोग यदि कठिन परिश्रम करने के लिए तैयार हैं, तो भारत में रहकर भी वे सर्वोच्‍च पदों पर पहुंच सकते हैं.
आज भारतीय युवाओं को, चाहे वे जिस क्षेत्र में भी काम कर रहे हों, अपनी योग्‍यता के लिए पर्याप्‍त सम्‍मान मिलता है. खेलों के क्षेत्र का ही उदाहरण ले लीजिए, जहां सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा और अंजू बॉबी जॉर्ज जैसे खिलाड़ी अधिसंख्‍य युवक/युवतियों का आदर्श बन चुके हैं. प्रवर्त्तनकारी और प्रबंधनात्‍मक कौशल के क्षेत्र में भी भारतीय किसी से कम नहीं हैं. दुग्‍ध उत्‍पादन के क्षेत्र में भारत को विश्‍व में सर्वोच्‍च स्‍थान पर ले जाने का श्रेय यदि किसी को दिया जाता है, तो वो हैं ‘श्‍वेत क्रांति’ के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन. कोंकण रेलवे परियोजना को रिकॉर्ड समय में पूरा करने वाले श्रेष्‍ठ इंजीनियर श्री ई. श्रीधरन ने विश्‍व स्‍तरीय दिल्‍ली मेट्रो रेल को भी तैयार किया. अमिताभ बच्‍चन अब केवल भारतीय सिनेमा के सुपरस्‍टार ही नहीं हैं, बल्कि ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के प्रस्‍तुतीकरण और ऐसी कई अन्‍य भूमिकाओं का निर्वाह करते हुए उन्‍होंने वैश्विक स्‍तर पर खयाति अर्जित की है. अंबानी बंधुओं, टाटा परिवार, मित्तल परिवार और ऐसे कई अन्‍य लोगों का उदाहरण ले लीजिए, जिन्‍होंने विभिन्‍न महाद्वीपों में अपने पदचिह्न छोड़े हैं. कई भारतीय सुंदरियों ने मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्‍ड का ताज जीता, किंतु किसी ने भी पूर्व मिस वर्ल्‍ड ऐश्‍वर्या राय की तरह बॉलीवुड, हॉलीवुड और कान फिल्‍म महोत्‍सव में ख्‍याति अर्जित नहीं की.
भूमंडलीकरण के इस युग में भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक्‍नोलॉजी, नागरिक उड्डयन, स्‍टील उत्‍पादन और ऐसे कई क्षेत्रों में उच्‍च स्‍तरीय उद्यमी विश्‍व को प्रदान किए हैं. आज भारत विभिन्‍न क्षेत्रों में जिस प्रकार से पूरे विश्‍व में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है, उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं लगता, जब देश में प्रतिभा पलायन के स्‍थान पर प्रतिभा आगमन की स्थिति उत्‍पन्‍न होगी और दूसरे देशों के लिए कार्य कर रही हमारी सर्वर प्रतिभाएं भारत वापस आकर कार्य करने लगेंगी.

Saturday, July 01, 2006

एक तस्वीर


एन.डी.टीवी के कैमरापर्सन अनवर की एक नई तस्वीर...जो उन्होंने खुद ही उतारी हैं....

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उच्च शिक्षा में आरक्षण के समर्थन में पूर्व सांसद पी.आर खूंटे की अगुवाई में आंदोलन।(मई 05 रायपुर)फोटो:राजेश सोनकर

Wednesday, June 21, 2006

पहला कदम:

इस ई दुनिया में हमारी उपस्थिति देख पा रहें आप सभी लोगों को ज़िया कुरैशी का सलाम नमस्ते । पोर्टल पर हिन्दी की इस सुलभता ने यह अवसर दिलवाया है कि हम आपसे रूब़रू हो सकें । सबसे पहले मैं साफ दिल से ई छत्तीसगढ़ और उसके अस्तित्व सें जुड़े विचार से आपको अवगत कराना चाहूंगा । हम लोग ई माध्यम से अपनी मातृभूमि छत्तीसगढ़ राज्य से जुड़े उन तमाम लोगों को माटी की सुगंध का आभास कराना चाहेंगे , जिनके दिलो दिमाग में छत्तीसगढ़ बसता है ।ऐंसे सैकडों , शायद हजारो खुश किस्मत भी है जो इसी माटी में पले बढ़े और देश परदेश के किसी ठिकाने पर जाकर उस कर्मभूमि को समर्पित है , उन लोगों को विश्व पटल के प्रतिनिधि इंटरनेट पर छत्तीसगढ़ भी मिले । साथ ही हिन्दी जगत के प्रतिबद्द सेवा भावी जनों की रचनाओं को यथा संभव हिस्सा बनाने के लिए कार्य करेंगे । हमारी कोशिश होगी कि हम छत्तीसगढ़ के लोगों की सुध भी ले पाऐं । जिनकी आवाज़ को यदा कदा स्वर भी नहीं मिल पाता हम उनकी पीड़ा को सुनने और उसे उचित मंच तक पहुचाने का प्रयास भी करेगें।सिर्फ यही नहीं इंटरनेट तक पहुंचने वाले राज्य के सभी वर्ग के लोगों को उनकी जरूरत की सूचनाऍ ,समाचार आवश्यक जानकारियां और डाटा उपलब्ध कराने की कोशिश भी करते रहेगें जो इस सूचना युग में उन्हें विकास और समाधान की ओर ले जाने के आवश्यक होंगी। छत्तीसगढ़ प्रदेश से जुड़ी लोक कला संस्कृति और साहित्य के माध्यम से अपनी सेवाएं देनें वाले मनीषियों की राह सें ऐसें कंकड़ बीनने का प्रयास करना चाहेंगे जो उनकी समर्पण की भावना को कहीं न कहीं अब तक आहत करते रहें है ।
इस प्रदेश मे काम करने वाली सामाजिक , राजनैतिक और गैर सरकारी संस्थाओं की हलचल को अपने अत्यंत सीमित साधनों के माध्यम से प्रकाश में लाने के लिए काम करते रहना भी हमारी प्राथमिकता का एक हिस्सा होगा । अपनी इस कोशिश में हमें कितनी सफलता मिलती है इसका जवाब सिर्फ आने वाला वक्त ही दे सकता हैं । ई छत्तीसगढ़ के रूप में हमारा यह प्रयास एक पहला कदम है हमारी भावना और इंटरनेट समाचार पत्र का संबंध किसी दावें - प्रतिदावें से नहीं है हम अपने वेब पेज के जरिए जनपत्रकारिता के उस विचार को आगे बढ़ाने की दिशा में अग्रसर होंगे जिसमें हर किसी को अपनी बात कहने और सरकारी तंत्र की सूचनाऍ हासिल करने का लोकतांत्रिक अधिकार हासिल होता है ।फिलहाल मैं स्वयं और ई छत्तीसगढ़ से प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रहें साथियों के लिए आपके सहयोग और शुभकामनाओं की उम्मीद कर रहां हूं । इस प्रयास के संबंध में यदि आप कोई सुझाव एवं मार्गदर्शन देंते है तो हमारी हौसला अफज़ाई होगी। बातें अभी बहुत सी है पर अभी बस इतना ही । ज़िया कुरैशी( रायपुर )

Tuesday, June 20, 2006

धर्म

बिलासपुर (ई छत्तीसगढ़) कोरबा मुख्य मार्ग पर 25 कि.मी पर स्थित आदिशक्ति महामाया देवी का पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरव शाली है । पौराणिक ग्रंथ महाभारत , जैमिनी पुराण आदि में इसे राजधानी होने का गौरव प्राप्त है । त्रिपुरी के कलचुरीयों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया । इसे चर्तुयुगी नगरी भी कहा जाता है जिसका तात्पर्य है कि इसका अस्तित्व चारों युगों में विघमान रहा है ।राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक देकर अपनी राजधानी बनाया ।
श्री आदिशक्ति मॉ महामाया देवी : लगभग 1000 वर्ष प्रचीन महामाया देवी का दिव्य एव भव्य मंदिर दर्शनीय है । इसका निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11 वीं शताब्दी में कराया गया था। 1045 ई. में राजादेव रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में शिकार के लिये आये थे जहां रात्रि वित्राम उन्होंने एक वट वृक्ष पर किया अर्ध रात्रि में जब राजा की आंखे खुली तब उन्होने वट वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा यह देखकर चमत्कृत हो गये कि वहां आदिशक्ति का श्री महामाया देवी का सभा लगी हुई है । इतना देखकर वे अपनी चेतना खो बैठे । सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गये और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया तथा 1050 ई. में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया ।